गुरुद्वारे गए, लंच किया और फिर उजड़ गई दुनिया... BMW हादसे के शिकार नवजोत सिंह को पत्नी ने दी अंतिम विदाई
नई दिल्ली, 16 सितम्बर
पति नवजोत सिंह के साथ जब संदीप कौर रविवार को बाइक पर घूमने निकलीं थीं तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उनकी दुनिया इस तरह से पलट जाएगी. एक भीषण सड़क दुर्घटना में 52 साल के नवजोत की मौत के 48 घंटे बाद घायल और टूट चुकीं संदीप ने अपने पति और अपने सबसे अच्छे दोस्त को आखिरी बार देखा. इससे पहले कि परिवार के सदस्य नवजोत के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जा सकें. दो स्ट्रेचर एक साथ थे. संदीप अपने पति के बेजान चेहरे को छूने के लिए बढ़ीं. इस दौरान रिश्तेदार अपनी आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रहे थे.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय में उप सचिव नवजोत सिंह की रविवार दोपहर दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास एक तेज रफ्तार बीएमडब्ल्यू की टक्कर से मौत हो गई और उनकी पत्नी संदीप घायल हो गई. संदीप पेशे से शिक्षिक हैं.
19 किमी दूर अस्पताल ले जाने पर उठ रहे सवाल
उस सुबह दोनों दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारे गए और आरकेपुरम स्थित कर्नाटक भवन में लंच किया. वे प्रताप नगर स्थित अपने घर जा रहे थे, तभी एक बीएमडब्ल्यू एक्स5 कार ने नियंत्रण खो दिया और उनकी बाइक को टक्कर मार दी. नवजोत के सिर और चेहरे पर चोटें आईं, जबकि संदीप के कई फ्रैक्चर हुए.
बीएमडब्ल्यू चला रही गगनप्रीत उन्हें करीब 19 किलोमीटर दूर जीटीबी नगर के एक अस्पताल ले गईं. यह यात्रा करीब 40 मिनट की थी. डॉक्टरों ने नवजोत को मृत घोषित कर दिया. बाद में संदीप को दूसरे अस्पताल ले जाया गया.
गैर इरादतन हत्या का आरोप, गगनप्रीत गिरफ्तार
गगनप्रीत और उनके पति परीक्षित पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही से गाड़ी चलाने और सबूत छिपाने का आरोप लगाया गया है. गगनप्रीत के साथ उनके पति परीक्षित भी उस वक्त कार में थे.
इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने घायल दंपति को पास के अस्पताल के बजाय 19 किलोमीटर दूर एक अस्पताल ले जाने का फैसला क्यों किया. पुलिस सूत्रों ने बताया है कि जिस जीटीबी नगर अस्पताल में उन्हें ले जाया गया, वह गगनप्रीत के पिता के सह-स्वामित्व वाला है. नवजोत के परिवार ने मामले को छुपाने की कोशिश का आरोप लगाया है. गगनप्रीत को गिरफ्तार कर लिया गया है और वह न्यायिक हिरासत में है.
नजदीकी अस्पताल ले जाने की गुहार को किया अनसुना
पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में संदीप ने कहा कि वह गगनप्रीत से बार-बार उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाने की विनती करती रही, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा, "मैं उससे बार-बार विनती करती रही कि वह हमें पास के अस्पताल ले जाए. मेरे पति बेहोश थे और उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत थी. हालांकि मेरे बार-बार कहने के बावजूद वह हमें दूर एक छोटे से अस्पताल ले गई."
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